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Wednesday, July 29, 2009

खामख्वाह यूँ ही

कुछ अनकहे सवालों के जवाब
कुछ मन में फिरते पलों का हिसाब
वो पिछली रात जो बांटा था एक ख्वाब
छत के कोने में , मन के बिछोने पे
एक टुकडा उसका कहीं आंखों में अटका है
न होने पर तुम्हारे
वो ही हर बीते लम्हे का खटका है
खामख्वाह यूँ ही
दिल में लाखों हसरतें , हर शाम जलती है
उस बांटे हुए सपने के हिस्से में
तन्हाई ही बरसती है
बेखुदी की शबनम
पलकों पर फ़िर से डोल जाती है
आधी रात के उस पूरे चाँद
पर यूँ ही उदासी फ़ैल जाती है
तरसती सी चांदनी

तुम्हारी याद में फीकी सी पड़ जाती है
posted by Reetika at 7/29/2009 06:12:00 PM 23 comments

Tuesday, July 21, 2009

प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो.........

कल भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था, नींद में भी तुमने जो छुआ था
गिरते गिरते बाहों में बची , सपने पे पावँ पड़ गया
सपनो में बहने दो ...........
प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो.........

जिंदगी से कहीं छु कर निकल जाता एक एक लफ्ज़ .... धीरे धीरे रिश्तो की आंच से हर लम्हा जलने लगता है । मेरी खिड़की के चाँद को न जाने कब से तुम्हारी आदत सी हो गई है और वो भी अब थक गया है। शायद , तुम रास्ता भूल गए हो या आना ही नही चाहते, तुम बेहतर समझ सकते हो। नाज़ुक सा सफर है ... कई बार तो खयालो को जेहन में लाने से डर लगता है, की कहीं उसकी छाया से रिश्ते कुम्लाह न जाए । सपने भी ज़बरन ही आंखें खोल कर देखने लगी हूँ ... एक अजीब सा खौफ है .... खुशी है .... पर उसके साथ एक अनजानी सी चुभन भी दे दी है है तुमने। तुम्हारे खामोश तस्सवुर को छूने की कोशश भी कभी करती हूँ तो हाँथ काँप जाते हैं ...पता नही उतना हक है भी या नही ?
posted by Reetika at 7/21/2009 02:28:00 PM 7 comments

हांथो से छूटता सिरा

एक और दिन
एक और एहसान
थमी सी साँसे
रुकी सी ज़िन्दगी
परत दर परत
हसरतों को खिसखाते
मुस्कराने की ज़बरन कोशिश
आवाज़ में किसी की
ढूँढती खुशियों के सुराग
बेखौफ निगाह
तराशती एक मुस्तकबिल
हांथो से छूटता सिरा
मेरी उम्मीद का ..........
posted by Reetika at 7/21/2009 12:07:00 AM 4 comments

Monday, July 20, 2009

छू गए तुम...

भोर की पहली मुस्कान, और तुम
रात की अधखुली आँखें, और तुम
तपती दोपहर, और भीगे से तुम
बातों में उलझी लटे, सुल्झाते तुम
बिन कारण हँसी, चुहलबाजी करते तुम
बेवजह नाराज़गी की शिकन, मीठा एक बोसा तुम
खामोश लब .... जेहन में बरसते तुम
सुर्ख रूह खयालो की ... रंग गए तुम
अरमानो की देह नम... छू गए तुम
खुशबू से सराबोर सपने ... भिगो गए तुम

posted by Reetika at 7/20/2009 03:20:00 PM 2 comments

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