UnxploreDimensions...

Sunday, May 23, 2010

तेरी चाहत की चांदनी ...

तम्मनाओं के पलाश
जज्बातों के दहकते जंगल
तेरे मेरे  साथ से
जिंदगानी हो गयी मुक्कमल
गुनगुनाते  , खिलखिलाते  
ख़्वाबों का आसमान ने
ओढ लिया रंग सुर्ख गहरा
तेरी मौजूदगी की बयार ने
महका दिया मन के आँगन का हर कोना
तेरी चाहत की चांदनी से अब
हो गयी मेरी तकदीर रोशन
की बस अब 
तुझ ही से खिल गयी 
हर उम्मीद  की बेकल चितवन
posted by Reetika at 5/23/2010 12:28:00 AM

3 Comments:

bahut sundar abhuvyakti...

May 23, 2010 2:44 AM  

good one!

May 23, 2010 6:10 PM  

चाहत की चांदनी ऐसी ही मधुर और शीतल होती है.सब खूबसूरत दिखाई देता है.

May 27, 2010 8:59 PM  

Post a Comment

<< Home

Page copy protected against web site content infringement by Copyscape Text selection Lock by Hindi Blog Tips