UnxploreDimensions...
Monday, November 23, 2009
तेरे मेरे होने का सिर्फ़ एक ख्याल ...
चम्पई रंग में खिलता ........
तेरे मेरे होने का सिर्फ़ एक ख्याल
हांथो को पकड़ , ज़बरन जाते जब मुझ पर बिखर
सीने में तुम्हारे वो छू से खोने का मंज़र
शक्ल इख्तियार करता इश्क
एक खुशबू की मानिंद ....
मेहँदी से जलती हथेलियाँ
सिन्दूर से दहकती पेशानियाँ
पा जाती तब पनाह ,
लबों की ठंडी सिलवटों में ...
Sunday, November 15, 2009
जो इक छोर बाँधा अपने मन से
जो इक छोर बाँधा अपने मन से
वो जम के बैठ गया है ...........
भीतर फैलता था जो कभी किरणें ,
आज छाती से चिपटा एक कुन्दा हो गया है
हर एक साँस , सिर्फ़ आह
हर एक पल, सिर्फ़ एक चाह
वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते ........
Saturday, November 14, 2009
पहेलियों की खिड़की ...
वक्त की छन्नी, यादों के मोती
एक पल में जुटता , अगले ही पल लुटता
उलझी सी उम्मीद , जेहन में सिमटी सी ............
बन जाती मेरे मन का नमक,
मिलने की मीठी सी कसक .........
पूरा चाँद ,
मिलन का आधा अरमान.........
पहेलियों की खिड़की पे ,
जवाबों की चिडिया फुदकती ......
एक प्रेम की पगी बोली तुम्हारी,
दिल की तितलियाँ रंग जाती ....