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Sunday, November 15, 2009

जो इक छोर बाँधा अपने मन से

तुम्हारे संग रिश्ता बुनते बुनते ,
जो इक छोर बाँधा अपने मन से
वो जम के बैठ गया है ...........
भीतर फैलता था जो कभी किरणें ,
आज छाती से चिपटा एक कुन्दा हो गया है
हर एक साँस , सिर्फ़ आह
हर एक पल, सिर्फ़ एक चाह
वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते ........
posted by Reetika at 11/15/2009 01:58:00 PM

13 Comments:

तुम्हारे संग रिश्ता बुनते बुनते ,
जो इक छोर बाँधा अपने मन से
वो जम के बैठ गया है ...........
भीतर फैलता था जो कभी किरणें ,
आज छाती से चिपटा एक कुन्दा हो गया है
हर एक साँस , सिर्फ़ आह
हर एक पल, सिर्फ़ एक चाह
वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते ......

ek ek shabd jeevant hain.....

poori kavita ne man moh liya....

November 15, 2009 3:41 PM  

Mehfooz aise hi aate rahiye !

November 16, 2009 1:39 AM  

बहुत बढ़िया लिखती है आप ..जो कविता ज़िन्दगी के करीब लिखी जाती है वह सीधे दिल पर असर करती है आपका लिखा भी ऐसा ही लगा .शुक्रिया

November 17, 2009 2:02 PM  

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
पूनम

November 18, 2009 2:45 AM  

@ Ranjana, Poonam,

Dhanyawaad

November 19, 2009 1:23 AM  

रीतिका जी,
इधर कफ़ी दिनों से नेट पर नहीं आ रहा था। पर आपके ब्लोग पर सही वक्त पर आया न आता तो इतनी खूबसूरत,इमोशनल कवितायें(14,15 नवम्बर की)न पढ़ पाता।अच्छी लगी ये दोनों कवितायें--दिल को छूने वाली।
हेमन्त कुमार

November 19, 2009 2:35 AM  

Shukriya Hemant!!

November 20, 2009 1:57 AM  

वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते .....


हाशिये के कभी इस पर तो कभी उस पर
वक़्त खींचता रहा लकीरें ...
ज़िन्दगी थी की हमने
सिलवटों में गुजार दी ......

November 22, 2009 12:38 AM  

"apna apna hissa jod kr
jo poore kiya tthe zindgi ke qisse
aaj waqt ke haashiye pe
siskate reh gaye...."

kavitaa meiN mn ki gehri
anubhootiyoN ki baat keh kr
rachnaa ko saarthak
banaa diyaa hai aapne .
abhivaadan svikaareiN .

November 22, 2009 9:33 PM  

speechless !!!

November 22, 2009 10:18 PM  

@ Muflis

Shukriya tareef ka !

@ Ashq ..Thank you for the appreciation

November 23, 2009 1:48 AM  

@ Harkirat

shabd nahi hai shukriya bayan karne ke liye........

November 23, 2009 1:49 AM  

behtreeen...........

January 13, 2010 8:58 PM  

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