UnxploreDimensions...
Tuesday, December 30, 2008
फ़िर भी एक उम्मीद...........
कसमसाहट है
बेचैनी है
खो जाने का एहसास है
आँखों का पानी है
दीवानापन है
बे-करारी है
मचलता सावन है
चाँद है
स्याह होंसले हैं
शाम है
फ़िर भी................
एक उम्मीद है
बेहूदी सी
मन के धागे ....................
कुछ मुझ में, तुम में फलसफे हुए
सपनो के हसीं ताने बाने बुनने लगे .................
यादों की चिलमची में ,
हँसी के काफिये पकने लगे ............................
रंगीन बातों के अलाव से ,
दिन - औ - रात गर्म होने लगे ...........................
उम्मीद के गीले हांथों की दिल पे छाप
रगों में दौड़ते रंग में बदल गयी , मेहंदी की आंच
मन के धागे .... कुछ पक्के , कुछ कच्चे .....
उन्ही वक्त के टुकडो में उलझ के रह गए................
Friday, December 19, 2008
कहीं कोई....
चेहरे पे गुलाल मल दे,
बहती हवा सी, जुल्फों में ज़िन्दगी भर दे,
कहीं कोई ........................................
पलकों पे नेह के सितारे टांक दे ,
इक गीले से बोसे को सुबह बना दे,
कहीं कोइ................................................
करवटों में अपनी बाहें सिलादे ,
ठंडी उँगलियों के पोरों से यह लब खिला दे ,
कहीं कोई ................................................
हर ख्याल वजूद से अपने महका दे
ख्वाब...... जो चोर बने फिरते हैं, फ़िर से जेहन में रोशन कर दे ................
Monday, December 08, 2008
एहतराम... शुक्रिया....
उस पल का, जिसमें सिमट गया सपनो का सिन्दूरी उजियारा,
मुट्ठी में बंधगया जब जेहन में बिखरा हर एक सितारा
उफनती नदी को जिस पल पी गया किनारा........
रिश्तों के आईने में अक्स... मेरा तुम्हारा.........
हंसने लगा मुक्कदर , देख हाल हमारा
लफ्जों की तंगी खलने लगी है अब,
अंदाज़- ऐ - बयां लो हो गया सिफर
वो तुम थे या मेरा गुमाँ ,
यह मैं हूँ या तुम्हारा ही छोड़ा कोई निशाँ ............