UnxploreDimensions...
Monday, May 24, 2010
इंतज़ार है... तुम्हारा ...
सिर्फ तुम्हारे ख्याल की ऊँगली थाम
रात के आँगन में
तुम्हारे एहसास में नहाती मैं ....
इंतज़ार है ...
गुलमोहर से खिलते उस समां का
शहद से भीगी उन किरणों का
इंतज़ार है ...
चटक जाए हर कली जिसमें
उस सेहर का
इंतज़ार है ...
लम्हा लम्हा भिगोती शबनम का
बेलौस बरसती बारिश का
इंतज़ार है ...
बेपरवाह उड़ते बालों को
संवारती उस इश्किया हवा का
फिर से जागती हूँ उस
मुक्कदस आरजूओं से सराबोर
मोहब्बत के मौसम में ...
इंतज़ार करती तुम्हारा ...
तुम, जो ले आओगे
ये सब कुछ
एक बार फिर से ...
भर दोगे ज़िंदगी में
मेरे, तेरे से आगे
"हम्हारे" विसाल का सुरमई रंग
Sunday, May 23, 2010
तेरी चाहत की चांदनी ...
जज्बातों के दहकते जंगल
तेरे मेरे साथ से
जिंदगानी हो गयी मुक्कमल
गुनगुनाते , खिलखिलाते
ख़्वाबों का आसमान ने
ओढ लिया रंग सुर्ख गहरा
तेरी मौजूदगी की बयार ने
महका दिया मन के आँगन का हर कोना
तेरी चाहत की चांदनी से अब
हो गयी मेरी तकदीर रोशन
की बस अब
तुझ ही से खिल गयी
हर उम्मीद की बेकल चितवन