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Sunday, January 03, 2010

ऐसा क्या हुआ कि ...

मोहब्बत सा कुछ
हुआ तो था
अरमानो का जिस्म
तस्सवुर में खिला भी था
निगाहों की छुअन से तुम्हारी
हसरतें जवां हुई तो थी
फिर ऐसा क्या हुआ कि ...
जीती जागती,
हर लम्हे में पाली ख्वाहिशें
खामोश चिलमन में चुनवा दी गयी
सवालों के कसीदे ,
जवाबों कि उम्मीद में
उलझ के रह गए
आवारा सी एक रात हमारी
किसी की ज़िन्दगी का चाँद बन
ज़ेहन में कहीं सिमट गयी ...
posted by Reetika at 1/03/2010 01:03:00 AM

12 Comments:

सवालों के कसीदे ,
जवाबों कि उम्मीद में
उलझ के रह गए
आवारा सी एक रात हमारी
किसी की ज़िन्दगी का चाँद बन
ज़ेहन में कहीं सिमट गयी ...


ओर जेहन .कम्बखत रोज नयी दीवारों की तामीर करने बैठ जाता है ......

January 03, 2010 3:06 PM  

आवार-सी रात के बिम्ब ने मन को छुआ। हमेशा की तरह एक सुंदर कविता।

नव-वर्ष की समस्त शुभकामनायें, मैम! कैसी हैं आप?

January 03, 2010 9:26 PM  

Doctor Saheb, kya rozana naya silsila kabhi khatam nahi ho sakta kya..? abhi tak sabhi koshishein nakaam rahi hai...

January 04, 2010 12:57 AM  

Shayar Fauzi Saheb, aapko bhi naya saal bahut bahut mubarak ! hum bilkul durusst hai..aap sab ki dua hai.. aajkal mausam ka kaun sa rang dekh rahe hain vadiyon mein ?

January 04, 2010 12:58 AM  

नव-वर्ष की समस्त शुभकामनायें, मैम! कैसी हैं आप?

January 13, 2010 8:57 PM  

आपके ब्लॉग पर अलग तरह की कविताएं पढ़ने को मिली हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

January 13, 2010 8:58 PM  

Shukriya Sanjay !

January 26, 2010 2:02 AM  

ऐसा लग रहा है मुहब्बत बहुत मुश्किल चीज है :)

February 05, 2010 1:39 PM  

achcha likha hai ..
tareef karni nahi aati mujhe :)

February 13, 2010 10:15 PM  

बहुत-बहुत धन्यवाद।

February 15, 2010 11:47 PM  

@ RC - mohabbat bahut mushkil cheez hai agar koi apeksha rakh kar ki jaaye... warna behad asaan hai bas chahiye to ek samparpan ki bhaavna...

February 16, 2010 2:06 AM  

oh!
kya baat hai...dil ko choo gai :)

April 08, 2010 1:23 AM  

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