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Monday, September 07, 2009

क्यूँ ?

जानती हूँ की नही आना है तुम्हे
जानती हूँ की नही जुड़ना है तुम्हे
नही है तुम्हे किसी किस्म की ख्वाहिश
नही है तुम्हे मिलने की आसयिश
कोई ज़रूरत नही
कोई हसरत नही
न ही बाकी कोईभी कशिश
फ़िर भी क्यूँ
कर बैठी हूँ प्यार तुमसे इतना
रातों का हर पहर गहरा
दिनों का हर लम्हा कसैला
दिल में क्यूँ एक लौ फडफडाती है
जिसमें मेरी एक आस ही क्या
ज़िन्दगी भी अब तो चुकने को आती है ....
posted by Reetika at 9/07/2009 11:51:00 AM

20 Comments:

प्यार होता ही ऐसा है....
हम सब जानते हुए भी एक भ्रम को
हाथ से निकलने नहीं देना चाहते......
मेरी एक कविता थी...

मैं जनता हूँ
कि उसकी सब बातें
झूठ हैं
वो जानती हैं
कि मेरी सब बातें फरेब हैं
लेकिन फिर भी
हम एक दुसरे पर यकीन करतें हैं

सब जानते भी हम यकीन का
दामन छोड़ना नहीं चाहते.........

अत्यंत खुबसूरत कविता है......

September 07, 2009 11:06 PM  

रीतिका जी,
बहुत अच्छी प्रेम कविता……।पढ़ने के साथ ही अन्दर महसूस की जा सकने वाली कविता…॥बधाई।
हेमन्त कुमार

September 08, 2009 12:55 AM  

रचना का अंत बेहतरीन ,एक उम्मीद ही नहीं बल्कि जिन्दगी भी उस लौ में समाप्त होने को है

September 15, 2009 9:19 PM  

बेहतरीन रचना

September 18, 2009 10:51 PM  

रीतिका,
बहुत संवेदनापूर्ण है आपकी रचना।बधाई।
पूनम

September 21, 2009 6:49 PM  

इक बात कहूं रितिका जी बेहतरीन है ये आपकी सारी रचनाएँ ...
पढ़ा तो लगा एक जीवन जी गया...लिखने के बाद बहुत ही शुकून मिलता
होगा आपके मन को...रचनाएँ ऐसे ही जन्म लेती है लिखते रहिये...

September 24, 2009 6:23 PM  

ritika ji
namaskar

choti se prem kavita me aapne bahut si baate kah daali hai ..

zindagi ki aakhri saans tak ka intjaar ..aapki kavita me bakhubi ubhar kar aaya hai ..

meri badhai sweekar kijiye ..

regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

October 06, 2009 5:44 PM  

@Dr Amarjeet, Hemant, Brij Mohan, Sanjay, Poonam, Eistein... bahut bahut SHUKRIYA!

October 07, 2009 8:21 PM  

@ Vijay

aaj tak samajh nahi paayi hoon ki kahan se yeh sab bhaav panno par uatr jaate hain........

October 07, 2009 8:22 PM  

:) khoobsurat!

October 24, 2009 9:03 AM  

Shukriya Swati (Rhapsody)

October 28, 2009 2:57 PM  

zindagi bhi ab chukne ko aatee hai... waah..

bahut badhiya Reetika ji :)bahut pyari rachna hai..

pankaj

November 03, 2009 10:29 AM  

जानती हूँ की नही आना है तुम्हे
जानती हूँ की नही जुड़ना है तुम्हे
नही है तुम्हे किसी किस्म की ख्वाहिश
नही है तुम्हे मिलने की आसयिश
कोई ज़रूरत नही
कोई हसरत नही
न ही बाकी कोईभी कशिश
फ़िर भी क्यूँ
कर बैठी हूँ प्यार तुमसे इतना....


in panktiyon ne dil ko chhoo liya....

November 10, 2009 9:17 PM  

showing true feelings...

November 11, 2009 5:01 PM  

मोहब्बत वफ़ा भी है दगा भी है
सजा भी प्यार भी ....
आस भी है निराशा भी .....
दिन भी रात भी .....

फिर भी क्यूँ........!!

November 12, 2009 2:41 AM  

@ Pankaj... Thnx

@ Harkeerat .. aao jaisee seerat walon ki zarrqa nawazi naseeb hui... bahut bahut shukriya !! aate rahiyega !!

November 14, 2009 4:55 PM  

ये वो शै है जो
करने से नहीं की जाती
बस यूं ही हो जाती है
प्‍यार कहाती है।

November 14, 2009 5:05 PM  

@ Neelima, Avinash

Thanks a ton!!

November 14, 2009 7:46 PM  

jaane kyu tumhaari posts read karke..tumse milne ka mann karne laga hai...shayaad kafi kuch tumse mera milta julta hai :)

April 08, 2010 1:24 AM  

Mil lijiye Tripat..dilli mein rihaish hai..aapka swagat hai..

April 25, 2014 8:08 PM  

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