UnxploreDimensions...

Sunday, March 30, 2008

कैसा है यह असर....

खुशबू उसकी मेरे जेहन में छा जाती है..........
कुछ महके से लफ्ज़ बन ,
कागज़ पर बिखर जाती है .......................
इक छोटी सी मुस्कान फ़ेंक,
चंदसफ्हों में अरमान जवान उठते हैं....................
उँगलियों की बेनाम हरकतों पर,
अनकही बातें लहक जाती है ....................
उमंगो पर आ जाता शबाब,
जब हँसी उसकी दबे पाँव मन को मेरे गुदगुदा जाती है ............
मीलों दूर बैठी उसकी शिद्दत,
यह कैसा असर कर जाती है ............................
posted by Reetika at 3/30/2008 02:32:00 PM

4 Comments:

बहुत खूब!!
सुंदर भाव सुंदर शब्द!!

March 30, 2008 8:54 PM  

अच्छा लिखा है.

March 31, 2008 1:28 AM  

gr8
u got a gr9 collecation

April 02, 2008 11:01 PM  

wow u write poems as well

April 11, 2008 11:52 PM  

Post a Comment

<< Home

Page copy protected against web site content infringement by Copyscape Text selection Lock by Hindi Blog Tips