UnxploreDimensions...
Friday, September 14, 2007
आज भी.........
छूकर तुझको जो चला गया वक्त
जेहन में बसता है वो मेरे आज भी
गुज़रे पलों के हर्फों में तुम्हे तलाशना
खुशी के वास्ते यह सिलसिला जारी है आज भी
मौसम के हर रंग पर, दिल की हर उमंग पर
लिखती हूँ तेरा नाम आज भी
मंजिलों को भूल चुकी हूँ मैं
मुसाफिरों के लिए तेरे रास्ते की चाहत बाकी है आज भी
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