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Sunday, November 16, 2008

बाकी है कुछ निशाँ............

शबनम चखने की कोशिश है ......
सपनो से आज भी राबता रखने की कोशिश है
उमीदों की निगाहों के बाकी हैं कुछ निशाँ ....
चाहतों के फूलों में बसते है खुशबू के आशियाँ ....
नज़रों से होंटों तक अरमानों के गुलिस्ताँ,
मर्मरी अल्फाजों में गुम, तस्सवुर की छूअन जवाँ........
लबों तक आते रहे जो, हसरतों के कारवाँ ...............
शामिल उनमें मेरे मन के मौसम दरमियाँ .............
जज्बों ने रंग दिए ख़्वाबों के नए आसमाँ ...............




posted by Reetika at 11/16/2008 10:15:00 PM

3 Comments:

Great work..and touching

Akash

November 17, 2008 12:02 AM  

WOW !!!

gr8 template

November 18, 2008 7:13 PM  

@ Akash, Ashwini ... Thanks a lot!

November 18, 2008 11:54 PM  

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