तुम्हारे संग रिश्ता बुनते बुनते ,
जो इक छोर बाँधा अपने मन से
वो जम के बैठ गया है ...........
भीतर फैलता था जो कभी किरणें ,
आज छाती से चिपटा एक कुन्दा हो गया है
हर एक साँस , सिर्फ़ आह
हर एक पल, सिर्फ़ एक चाह
वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते ........
तुम्हारे संग रिश्ता बुनते बुनते ,
ReplyDeleteजो इक छोर बाँधा अपने मन से
वो जम के बैठ गया है ...........
भीतर फैलता था जो कभी किरणें ,
आज छाती से चिपटा एक कुन्दा हो गया है
हर एक साँस , सिर्फ़ आह
हर एक पल, सिर्फ़ एक चाह
वो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
वो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते ......
ek ek shabd jeevant hain.....
poori kavita ne man moh liya....
Mehfooz aise hi aate rahiye !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखती है आप ..जो कविता ज़िन्दगी के करीब लिखी जाती है वह सीधे दिल पर असर करती है आपका लिखा भी ऐसा ही लगा .शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteपूनम
@ Ranjana, Poonam,
ReplyDeleteDhanyawaad
रीतिका जी,
ReplyDeleteइधर कफ़ी दिनों से नेट पर नहीं आ रहा था। पर आपके ब्लोग पर सही वक्त पर आया न आता तो इतनी खूबसूरत,इमोशनल कवितायें(14,15 नवम्बर की)न पढ़ पाता।अच्छी लगी ये दोनों कवितायें--दिल को छूने वाली।
हेमन्त कुमार
Shukriya Hemant!!
ReplyDeleteवो काँधों पर तुम्हारे लबों की गर्मी ,
ReplyDeleteवो उँगलियों की जिस्म पर अठखेली
अपना अपना हिस्सा जोड़ कर ,
जो पूरे किए थे ज़िन्दगी के किस्से
आज वक्त के हाशिये पे
रह गए सिसकते .....
हाशिये के कभी इस पर तो कभी उस पर
वक़्त खींचता रहा लकीरें ...
ज़िन्दगी थी की हमने
सिलवटों में गुजार दी ......
"apna apna hissa jod kr
ReplyDeletejo poore kiya tthe zindgi ke qisse
aaj waqt ke haashiye pe
siskate reh gaye...."
kavitaa meiN mn ki gehri
anubhootiyoN ki baat keh kr
rachnaa ko saarthak
banaa diyaa hai aapne .
abhivaadan svikaareiN .
speechless !!!
ReplyDelete@ Muflis
ReplyDeleteShukriya tareef ka !
@ Ashq ..Thank you for the appreciation
@ Harkirat
ReplyDeleteshabd nahi hai shukriya bayan karne ke liye........
behtreeen...........
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