Saturday, November 14, 2009

पहेलियों की खिड़की ...

कुछ अबोला, कुछ कहा
वक्त की छन्नी, यादों के मोती
एक पल में जुटता , अगले ही पल लुटता
उलझी सी उम्मीद , जेहन में सिमटी सी ............
बन जाती मेरे मन का नमक,
मिलने की मीठी सी कसक .........
पूरा चाँद ,
मिलन का आधा अरमान.........
पहेलियों की खिड़की पे ,
जवाबों की चिडिया फुदकती ......
एक प्रेम की पगी बोली तुम्हारी,
दिल की तितलियाँ रंग जाती ....

2 comments:

  1. पूरा चाँद ,
    मिलन का आधा अरमान.........

    -सुन्दर बिम्ब!! कोमल रचना!!

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