तम्मनाओं के पलाश
जज्बातों के दहकते जंगल
तेरे मेरे साथ से
जिंदगानी हो गयी मुक्कमल
गुनगुनाते , खिलखिलाते
ख़्वाबों का आसमान ने
ओढ लिया रंग सुर्ख गहरा
तेरी मौजूदगी की बयार ने
महका दिया मन के आँगन का हर कोना
तेरी चाहत की चांदनी से अब
हो गयी मेरी तकदीर रोशन
की बस अब
तुझ ही से खिल गयी
हर उम्मीद की बेकल चितवन
bahut sundar abhuvyakti...
ReplyDeletegood one!
ReplyDeleteचाहत की चांदनी ऐसी ही मधुर और शीतल होती है.सब खूबसूरत दिखाई देता है.
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