मेरी आँखों का उजाला
हर सुनहरी सी सुबह में, फ़ैल जाता है
और गुनगुनी सी सांसें फिर से
प्यार की ठंडी छांह तलाशने लग जाती है ...
अपनी ही उमीदों की उंगलियाँ
मुस्तकबिल सिहरा देती है
और तमन्नाओ की मसहरी लगा ज़िन्दगी
एक अजीब से नशे में डूबी रहती है ...
अच्छी भी और बुरी भी ...
खुद से झूझती, बेपरवाह पलों की लडियां
बस गुज़रती नहीं .......
वक़्त के गलियारे आबाद करती
तन्हाई के स्याह रंग में सजा जाती है ...
मेरी आँखों का उजाला
ReplyDeleteहर सुनहरी सी सुबह में, फ़ैल जाता है
और गुनगुनी सी सांसें फिर से
प्यार की ठंडी छांह तलाशने लग जाती है ...
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeletetanhaaye ke syaah rang mein sajaa jaati hai...
ReplyDeletewah wah wah reetika ji...
shabd nahi hai tareef ke liye....
bahut he umdaa rachna.
कमाल के सिहरते, सनसनाते एहसास
ReplyDeleteसुन्दर...भावपूर्ण...
ReplyDelete@Sanjay, Sameer, RashmiPrabha, Pankaj, Surendra..
ReplyDeleteShukriya hausla badhane ka..