Saturday, February 13, 2010

तुम, जो ऐसा करते हो तो ....

उलझे ... सुस्त से अशआर
बेपरवाह से जवाब ...
एक ठंडी सी दूरी ....
बनाते तुम , जो ऐसा करते हो तो
मन में उभरते जज्बे
सिहर से जाते हें
उजली सी चाहतें
घबराहट की स्याही ओढ़
तन्हाई की गोद में दुबक जाती है
बेवजह उलज्हन दबे पाँव
सपनो की क्यारी रौंदती
जबरन कहीं से आ ही जाती है
फिर तुम, जो ऐसा करते हो
कि सिर्फ एक मीठे बोल से

मेरा हाँथ पकड़
सुर्ख रास्तों पर ले चलते हो

और महज़ एक बोल की रेशम डोर
सभी खौफ, सभी उलझन परे रख
मेरी तुम्हारी सांसें बाँध
एतबार के नए मकाम तलाशने चल देती है

12 comments:

  1. मन में उभरते जज्बे
    सिहर से जाते हें
    उजली सी चाहतें
    घबराहट की स्याही ओढ़
    तन्हाई की गोद में दुबक ही जाती है
    बहुत संवेदनायें लिये सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. खटपट ख़त्म हो झटपट
    दोनों तरफ हो यही अहसास - और क्या चाहिए -
    यही प्यार है और यही जीवन.
    बहुत सुंदर रचना

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  3. दबे पाँव तुम जो आ जाते हो
    मीठे बोलों का सुर्ख फूल लिए
    मैं कई कई सदियाँ जी जाती हूँ
    तेरे एतबार का सुकूँ साथ लिए .....

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  4. suna hai kachche dhago ki gaanth majboor hoti hai....aitbaar hai fir koi sawal hi nahi....zindgi hai...gunguna ligiye :-)

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  5. DUSRI BAR BLOG PAR AAY HOON BEHTREEN RACHNA
    MAJA AA GYA PADH KE,,,,

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  6. @ Nirmala - Dhanyawaad

    @Hriday Push - wohn ek ehsaas ki to talab hai ..

    @Mehfooz - shukriya

    @ Priya - koshish jaroor karungi..

    @Sanjay - Thanks

    @ Harkeerat - aapne behad khoobsoorat tareek se khayalon ko mukammal kar diya..shukriya..

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  7. उलझे ... सुस्त से अशआर
    बेपरवाह से जवाब ...
    एक ठंडी सी दूरी ....
    बनाते तुम , जो ऐसा करते हो तो
    -----
    ख्वाहिशे है कि रूकती ही नहीं हैं
    तिलस्म यही तो है
    सुन्दर रचना

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  8. आदाब
    ...सुर्ख रास्तों पर ले चलते हो
    और महज़ एक बोल की रेशम डोर
    सभी खौफ, सभी उलझन परे रख
    मेरी तुम्हारी सांसें बाँध
    एतबार के नए मकाम तलाशने चल देती है.
    वाह..बहुत खूब

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  9. .सुर्ख रास्तों पर ले चलते हो
    और महज़ एक बोल की रेशम डोर
    सभी खौफ, सभी उलझन परे रख
    मेरी तुम्हारी सांसें बाँध
    एतबार के नए मकाम तलाशने चल देती है.

    ....Ahsason ki bahut khubsurat abhivyakti!

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  10. @ Manu, M Verma Saheb - Shukriya

    @ Mirza Saheb - aap pehli baar tashreef laye hain..aapka istakbaal karte hain..

    @ Alpana - bahut bahut shukriya..

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