चलो एक सौदा कर लेते हैं
तुम्हारी एक चुप के बदले
कुछ नमकीन पानी मेरी आंखों का
किसी कोने में डूबी एक सोच के बदले तुम्हारी
छलकता नेह मेरे मन का
होंठों पे तुम्हारे रुके वो ढाई आखर प्रेम के
बरसने को मचलते प्यार के मौसम मेरी उम्मीद के
अनजाने डर से सहमी हुई तुम्हारे दिल की बातें
खुल के हंसती हुई मेरे अरमानो की बयारें
गहरी सोयी हरकतें तुम्हारी
मचलती जागती धड़कने मेरी
एक पल तुम्हारा
एक पल मेरा
पर क्या कोई पल होगा हमारा ?
गहरी सोयी हरकतें तुम्हारी
ReplyDeleteमचलती जागती धड़कने मेरी
एक पल तुम्हारा
एक पल मेरा
पर क्या कोई पल होगा हमारा???????????
bahut hi khoobsoorat lines hain...... haan! hum palon ko hi to khojte hain.......
bahut hi sunder..... aur gahre ehsaas...... poori kavita hi apne aap mein ultimate hai.....
Shukriya Mehfooz !
ReplyDeleteमन की कोमल भवनाओं को शब्दों में पिरोना और उसे …………॥खूबसूरती से प्रस्तुत करना ……आपकी कविताओं की खासियत है।
ReplyDeleteहेमन्त कुमार
behad khoobsoorat...yahi ek "hamara" me to iskh ka saara jaayka hai :)
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता है पर प्यार को सौदा
ReplyDeleteकहना कुछ जांचा नहीं.....
@ Hemant .. Thanks
ReplyDelete@ Pooja.. bilkul sahi kaha..
@ Amarjeet... apne apne sochne ka tareeka hai
kya khoob kaha "Humara"
ReplyDeletebahut khoobsurat panktiyaan hain
umdaa.. bahut umdaa
ReplyDelete@ Anil & Ashwini..
ReplyDeleteShukriya
सारे पल साझे हैं
ReplyDeleteजब होते वादे हैं