Friday, August 28, 2009

एक सौदा .....

चलो एक सौदा कर लेते हैं
तुम्हारी एक चुप के बदले
कुछ नमकीन पानी मेरी आंखों का
किसी कोने में डूबी एक सोच के बदले तुम्हारी
छलकता नेह मेरे मन का
होंठों पे तुम्हारे रुके वो ढाई आखर प्रेम के
बरसने को मचलते प्यार के मौसम मेरी उम्मीद के

अनजाने डर से सहमी हुई तुम्हारे दिल की बातें
खुल के हंसती हुई मेरे अरमानो की बयारें
गहरी सोयी हरकतें तुम्हारी
मचलती जागती धड़कने मेरी
एक पल तुम्हारा
एक पल मेरा
पर क्या कोई पल होगा हमारा ?

10 comments:

  1. गहरी सोयी हरकतें तुम्हारी
    मचलती जागती धड़कने मेरी
    एक पल तुम्हारा
    एक पल मेरा
    पर क्या कोई पल होगा हमारा???????????


    bahut hi khoobsoorat lines hain...... haan! hum palon ko hi to khojte hain.......

    bahut hi sunder..... aur gahre ehsaas...... poori kavita hi apne aap mein ultimate hai.....

    ReplyDelete
  2. मन की कोमल भवनाओं को शब्दों में पिरोना और उसे …………॥खूबसूरती से प्रस्तुत करना ……आपकी कविताओं की खासियत है।
    हेमन्त कुमार

    ReplyDelete
  3. behad khoobsoorat...yahi ek "hamara" me to iskh ka saara jaayka hai :)

    ReplyDelete
  4. बहुत प्यारी कविता है पर प्यार को सौदा
    कहना कुछ जांचा नहीं.....

    ReplyDelete
  5. @ Hemant .. Thanks

    @ Pooja.. bilkul sahi kaha..

    @ Amarjeet... apne apne sochne ka tareeka hai

    ReplyDelete
  6. kya khoob kaha "Humara"
    bahut khoobsurat panktiyaan hain

    ReplyDelete
  7. सारे पल साझे हैं

    जब होते वादे हैं

    ReplyDelete