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Sunday, January 03, 2010

ऐसा क्या हुआ कि ...

मोहब्बत सा कुछ
हुआ तो था
अरमानो का जिस्म
तस्सवुर में खिला भी था
निगाहों की छुअन से तुम्हारी
हसरतें जवां हुई तो थी
फिर ऐसा क्या हुआ कि ...
जीती जागती,
हर लम्हे में पाली ख्वाहिशें
खामोश चिलमन में चुनवा दी गयी
सवालों के कसीदे ,
जवाबों कि उम्मीद में
उलझ के रह गए
आवारा सी एक रात हमारी
किसी की ज़िन्दगी का चाँद बन
ज़ेहन में कहीं सिमट गयी ...
posted by Reetika at 1/03/2010 01:03:00 AM 12 comments

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