UnxploreDimensions...

Saturday, May 10, 2008

यह बयारें.....

क्यों है तुम्हारा इंतज़ार
उमीदों का प्याला
छलक पड़ा, हो बेकरार
सपनो के गीले पोर
तमन्नाओं के गालों को छू , कुछ कह गए
बिन कहे जो सुन लिया तुमने
अपना होने पर भी खो दिया मैंने
पा कर भी यूं , यह दिल दूंदता फिरे
पलों को मेरे मेह्काती चल पड़ी
फिर से उनकी साँसों की बयारें
posted by Reetika at 5/10/2008 03:16:00 AM 1 comments

Page copy protected against web site content infringement by Copyscape Text selection Lock by Hindi Blog Tips